सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥२- ३८॥ Bhagavad Gita
सुख दुख को, लाभ हानि को, जय और हार को ऐक सा देखते हुऐ ही
युद्ध करो। ऍसा करते हुऐ तुम्हें पाप नहीं मिलेगा॥
Tuesday, July 29, 2014
न भीतो मरणादस्मि केवलं दूषितो यशः ।
अर्थात मैं मृत्यु से भयभीत नहीं हूँ केवल यश दूषित होने ( अपमान )से डरता हूँ !
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