सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥२- ३८॥ Bhagavad Gita
सुख दुख को, लाभ हानि को, जय और हार को ऐक सा देखते हुऐ ही
युद्ध करो। ऍसा करते हुऐ तुम्हें पाप नहीं मिलेगा॥
Wednesday, January 21, 2015
खुश रहना ...
जिंदगी के एक के पल की कीमत उस इन्सान से पूछो जो बीमारी से जूझ रहा है और उसे पता है मृत्यु अटल है ... इस जीवन का सबसे बड़ा रहस्य यही है के प्रलय निश्चित है फिर भी ऐसा लगता है के जीवन अनंत है :)
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